adani group shares मे भारी गिरावट के कारण: सम्पूर्ण विश्लेषण

अदानी ग्रुप शेयर्स मे गिरावट की वजह

आज adani group shares मे भारी गिरावट देखने को मिली है आइए समझते हैं मुख्य कारक क्या है

आज, न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के यू.एस. जिला न्यायालय ने गौतम अडानी और अडानी समूह के प्रमुख सदस्यों के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें उन पर 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत और धोखाधड़ी योजना में शामिल होने का आरोप लगाया गया। आरोपों का दावा है कि अडानी समूह ने सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और अरबों डॉलर जुटाने के लिए निवेशकों को गुमराह किया। यू.एस. प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) द्वारा समानांतर दीवानी कार्यवाही में धोखाधड़ी विरोधी प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जिसमें वित्तीय दंड और प्रतिबंधों की मांग की गई है। आरोपों में प्रतिभूति और वायर धोखाधड़ी शामिल है, जिसमें सबूत बताते हैं कि समूह के भीतर वरिष्ठ अधिकारियों ने योजना का प्रबंधन करने के लिए कोड नाम और गुप्त संचार जैसे परिष्कृत तरीकों का इस्तेमाल किया।

अदानी ग्रुप ने बताया निराधार

अडानी समूह ने सभी आरोपों का खंडन किया है, उन्हें निराधार बताया है, और कहा है कि वह कानूनी उपायों का पालन करेगा। कानूनी परेशानियों ने समूह के लिए महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाया है, जिसमें अडानी कंपनियों के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट और अडानी ग्रीन एनर्जी द्वारा नियोजित 600 मिलियन डॉलर के बॉन्ड की बिक्री को निलंबित करना शामिल है। अदालती मामलों का समूह के परिचालन और वैश्विक निवेश पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।

इसके बाद हमे यह समझना होगा जो इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। अदानी ग्रुप इंडिया का एक बड़ा औद्योगिक समूह है, जिसका व्यापार अलग-अलग शेत्रों में है, जैसे बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, बंदरगाह, विमानन, और खनन। लेकिन पिछले कुछ समय में ग्रुप के वैल्यूएशन और बिजनेस मॉडल पर काई प्रश्न उठे हैं।

हिंडनबर्ग अनुसंधान रिपोर्ट 2023 में एक अमेरिका स्थित वित्तीय अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदानी ग्रुप पर आरोप लगाए। रिपोर्ट में ये कहा गया कि ग्रुप ने अपने स्टॉक की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया है और उनमें वित्तीय अनियमितताओं की बात भी हुई है। क्या रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयर कीमतों में तेजी से गिरावट आई।

उच्च ऋण बोझ अदाणी ग्रुप के तेजी से विस्तार के चलते उन्हें अपने प्रोजेक्ट्स के लिए काफी लोन लेना पड़ा। कंपनी का ऋण-से-इक्विटी अनुपात ऊंचा होने की वजह निवेशकों के बीच एक

अनिश्चितता बनी। वित्तीय विश्लेषकों का मानना ​​है कि इतना बड़ा ऋण जोखिम कारक प्रतिबंध है, जो समूह के विकास को प्रभावित कर सकता है।

विनियामक चिंताएँ

हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने अडानी समूह के खातों की जांच शुरू की। ग्रुप पार ऑफशोर शेल कंपनियों के माध्यम से फंड डायवर्जन का इल्जाम भी लगा, जिसने विश्वसनीयता हासिल की।

बाजार की भावना अडानी ग्रुप के स्टॉक में शुरुआती तेजी ने खुदरा निवेशकों को आकर्षित किया था, लेकिन जैसी ही बुरी खबर आई, घबराहट में बिकवाली शुरू हो गई। बाजार की धारणा काफी गिर गई, जिसके संस्थागत निवेशक भी अपने दांव बेचने लगे।

वैश्विक कारक वैश्विक व्यापक आर्थिक कारक जैसे बढ़ती ब्याज दरें, कमोडिटी की कीमतें गिरना, और भूराजनीतिक तनाव ने अदानी समूह जैसे बड़े पैमाने के समूह पर भी प्रभाव डाला। फैक्टर्स में निवेशकों का भरोसा कमजोर किया।

कॉर्पोरेट प्रशासन के मुद्दे अडानी ग्रुप पर पारदर्शिता और कॉरपोरेट गवर्नेंस को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। काई विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर कंपनी अपनी वित्तीय स्थिति और व्यावसायिक प्रथाओं में पारदर्शिता नहीं लाती, तो ये निवेशकों के बीच विश्वास घाटे को और बढ़ा सकती है।


अडानी ग्रुप की चुनौतियों का संभावित प्रभाव

  1. निवेशक के भरोसे का नुकसान: निवेशकों का भरोसा दोबारा जीतना ग्रुप के लिए एक बड़ा चैलेंज होगा।
  2. विस्तार योजनाओं पर प्रभाव: कंपनी की विस्तार योजनाएं, जो मुख्य रूप से ऋण-वित्त पोषित हैं, उनमें देरी हो सकती है।
  3. प्रतिस्पर्धियों का फ़ायदा: भारतीय और वैश्विक बाज़ारों में अदानी ग्रुप के प्रतिस्पर्धियों को इसका फ़ायदा मिल सकता है।

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