ठंडी के मौसम में बीमारियों से बचने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों और उपायों का उपयोग कैसे करें। जानें गिलोय, तुलसी, आंवला और अन्य प्राकृतिक उपचारों से स्वस्थ रहने के तरीके।”
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आयुर्वेदिक औषधि भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जो प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, औषधियों और स्वस्थ जीवनशैली पर आधारित है। यह पद्धति न केवल बीमारियों का इलाज करती है, बल्कि शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बनाए रखने पर भी जोर देती है। इस लेख में हम कश्यप ऋषि द्वारा कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक औषधियों और उपायों पर चर्चा करेंगे, जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक औषधियां और उनके लाभ
- गिलोय (टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया)
लाभ: रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। डेंगू और वायरल बुखार में बहुत असरदार औषधि है यह पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है।
उपयोग: गिलोय का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करें, गिलोय के पत्तों का रस निकालकर पी सकते हैं।
- आंवला (इंडियन गूज़बेरी)
लाभ: यह विटामिन सी का प्रमुख स्रोत है और त्वचा और बालों के लिए काफी फायदेमंद है पाचन क्रिया दुरुस्त रखता है और शरीर से सभी विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालके डीटॉक्स करता है।
उपयोग: आंवला जूस रोज सुबह खाली पेट लें, आंवला पाउडर को शहद के साथ मिलाकर सेवन करें।
- हल्दी (कर्कुमा लोंगा)
लाभ: सूजन और संक्रमण कम करती है। यह त्वचा के रोगों और चोटों के घाव के इलाज में उपयोगी है इसमे एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण भरपूर मात्रा मे पाए जाते हैं ।
उपयोग: हल्दी वाला दूध (गोल्डन मिल्क) रात को पिएं,तथा हल्दी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर खाएं।
- तुलसी (ऑसिमम सैंक्टम)
लाभ: सर्दी, खांसी और बुखार में काफी असरदार है यह मानसिक तनाव को कम करती है।और इम्यून सिस्टम को बूस्ट करती है।
उपयोग: तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ लें। तुलसी की चाय का नियमित सेवन करें।
- अश्वगंधा (विथानिया सोम्निफेरा)
लाभ: तनाव और चिंता को कम करती है। शरीर मे ऊर्जा और शक्ति बढ़ाती है। यह आपके हार्मोन संतुलन को बनाए रखने मे मददगार है
उपयोग: अश्वगंधा पाउडर को दूध में मिलाकर रात को पिएं, कैप्सूल के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक उपाय
- त्रिफला का उपयोग
त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला का मिश्रण) पाचन में सुधार करता है, इसे रोज रात को गुनगुने पानी के साथ लें।
- पंचकर्म थेरेपी
शरीर को डीटॉक्स करने के लिए उपयोगी है इसका उपचार पाँच तरह से किया जाता है -वमन, विरेचन, बस्ती, नस्य और रक्तमोक्षण।
- प्राकृतिक आहार और जीवनशैली का हमारे स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ता है
मौसमी फल और सब्जियों का सेवन करेंरसायन युक्त खाद्य पदार्थों से बचें, अपनी दिनचर्या में योग और प्राणायाम को शामिल करें, दिनभर मे 5 से 8 गिलास गुनगुना पानी पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है, यह शरीर को हाइड्रेट और डीटॉक्स करता है।
4. रोजाना ध्यान (मेडिटेशन) करें,सकारात्मक सोच तथा अच्छे लोगों से संबंध विकसित करें और पर्याप्त नींद लें।
आयुर्वेद में रोगों का उपचार
आयुर्वेद के अनुसार, रोगों का इलाज करने से पहले उनके मूल कारण को समझना जरूरी है। शरीर में वात, पित्त और कफ का असंतुलन ही अधिकतर बीमारियों का कारण है। आयुर्वेदिक औषधियां और उपाय इस असंतुलन को ठीक करने में मदद करते हैं।
वात दोष: अक्सर उम्र के साथ हड्डियों मे जोड़ों मे दर्द होना आम बात है इससे कैसे राहत पाएं तथा अनिद्रा के उपाय
उपाय: तिल का तेल लेकर जोड़ों पे मालिश करें और गुनगुने पानी से स्नान करें
पित्त दोष: अम्लता, चिड़चिड़ापन मे क्या और कब खाना चाहिए
उपाय: कच्चे नारियल का पानी पिए और,भोजन बनने के 1 घंटे बाद ठंडे भोजन का सेवन करें
सर्दियों में खासकर मौसम बदलने के कारण कफ जुकाम, सुस्ती या जाती है
उपाय: अदरक, लौंग ,इलायची ,काली मिर्च की चाय पिए , इसमे हल्का और गर्म भोजन करें
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